2500 साल के इतिहास में पहली बार बिना भक्तों के निकलेगी प्रभु की रथयात्रा
पुरी। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद वर्षों से चली आ रही रथयात्रा की परंपरा इस वर्ष भी जारी रहेगी। हालांकि 2500 सालों के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा कि प्रभु की रथयात्रा निकलेगी लेकिन भक्त घर में ही रहेंगे। कोरोना संक्रमण के खतरे को ध्यान में रखते हुए पुरी शहर को टोटल लॉकडाउन किया गया है। रथयात्रा को मंदिर के 1172 सेवक गुंडिचा मंदिर तक ले जाएंगे।
2.5 किमी की इस यात्रा के लिए मंदिर समिति को दिल्ली तक का सफर पूरा करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद मंदिर समिति के साथ कई संस्थाओं ने सरकार से मांग की कि रथयात्रा के लिए फिर प्रयास करें। सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं लगाई गईं। अंततः फैसला मंदिर समिति के पक्ष में आया और पुरी शहर में उत्साह की लहर दौड़ गई। फैसला आते ही, सेवकों ने रथशाला में खड़े रथों को खींचकर मंदिर के सामने ला खड़ा किया।
मंगलवार को रथयात्रा पूरी कर भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर मुख्य मंदिर से ढाई किमी दूर गुंडिचा मंदिर जाएंगे। यहां सात दिन रुकने के बाद आठवें दिन फिर मुख्य मंदिर पहुंचेंगे। कुल नौ दिन का उत्सव पुरी शहर में होता है। मंदिर समिति पहले ही तय कर चुकी थी कि पूरे उत्सव के दौरान आम लोगों को इन दोनों ही मंदिरों से दूर रखा जाएगा। पुरी में लॉकडाउन हटने के बाद भी धारा 144 लागू रहेगी।