लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी खत्म नहीं होंगी एविएशन सेक्टर की मुश्किलें, पढ़ें ये खबर...
मुंबई (दैनिक भास्कर की रिपोर्ट)। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी एविशयन सेक्टर और विमानन कंपनियों की मुश्किलें कम नहीं होंगी। एविएशन सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है लॉकडाउन हटने के बाद विमानन कंपनियां पहले दिन से अपना 100 फीसदी ऑपरेशन शुरू नहीं कर पाएंगी। इसका कारण यह है कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोग अनावश्यक यात्रा करने से परहेज करेंगे। शुरुआत में एविएशन सेक्टर में शुरुआत में केवल 20 से 30 फीसदी मांग रहेगी, जो धीरे-धीरे बढ़ेगी। विशेषज्ञों की मानें तो कम मांग के कारण विमानन कंपनियों को अपनी फ्लाइट्स को फुल क्षमता से संचालित करने में 18 महीने से 2 साल तक का समय लग सकता है।
डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने विमानों के पायलट्स के लिए कई प्रकार गाइडलाइन तय कर रखी हैं। इन गाइडलाइंस के आधार पर ही पायलट्स को विमान उड़ाने की अनुमति मिलती है। इनमें कई गाइडलाइंस उड़ान के अनुभव संबंधी हैं। लॉकडाउन के बाद विमान सेवा शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में पायलट्स इन गाइडलाइंस के अनुसार उड़ान के लिए योग्य नहीं होंगे। इस समस्या से निपटने के लिए डीजीसीए ने सभी पायलट्स को इन गाइडलाइंस के पालन में 30 जून 2020 तक की छूट दे दी है। यानी लॉकडाउन के बाद डीजीसीए की यह गाइडलाइंस उड़ानों को संचालित करने में कोई बाधा नहीं बनेंगी। वहीं विशेषज्ञों का भी कहना है कि लॉकडाउन अवधि में आराम करने के बाद पायलट्स को उड़ान में कोई समस्या नहीं होगी।
ये हैं पायलटों के लिए डीजीसीए की गाइडलाइन
- एक पायलट को 30 दिन की अवधि के अंदर 3 टेक ऑफ और 3 लैंडिंग का अनुभव होना चाहिए।
- पायलट के पास फ्लाइट को ऑपरेट करने का अनुभव होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि उड़ान के दौरान पायलट को कॉकपिट में होना चाहिए।
- बीते 90 दिनों में पायलट के पास 10 घंटे की उड़ान का अनुभव होना चाहिए।
- प्रत्येक पायलट को हर साल उड़ान के लिए पूरी तरह से स्वस्थ होने की जांच करानी चाहिए।
- पायलट के पास खतरनाक स्थिति में उड़ान के लिए अच्छा प्रमाण पत्र होना चाहिए।
अभी विमान संचालन पर लगी है रोक
- 22 मार्च से बंद पड़ी हैं अंतरराष्ट्रीय उड़ानें
- 25 मार्च से घरेलू उड़ानों पर भी लगा प्रतिबंध